पूर्वोत्तर भारत की खूबसूरती, समृद्ध संस्कृति, और बढ़ती इंफ्रास्ट्रक्चर सुविधाओं के कारण यह क्षेत्र निवेशकों के लिए आकर्षण का केंद्र बनता जा रहा है। यहां सरकार की ओर से कई प्रोत्साहन योजनाएं भी दी जा रही हैं, जिससे पर्यटन और अन्य क्षेत्रों में निवेश के अवसर बढ़ रहे हैं। लेकिन क्या कोई बाहरी व्यक्ति इस क्षेत्र में जमीन खरीद सकता है या रियल एस्टेट में निवेश कर सकता है? आइए विस्तार से समझते हैं।
क्या बाहरी लोग पूर्वोत्तर भारत में जमीन खरीद सकते हैं?
संक्षिप्त उत्तर है – “नहीं, लेकिन कुछ अपवादों के साथ।”
पूर्वोत्तर राज्यों में भूमि अधिग्रहण को लेकर कड़े कानून हैं, जो स्थानीय जनजातियों और समुदायों के हितों की रक्षा के लिए बनाए गए हैं। कई राज्यों में बाहरी लोगों द्वारा भूमि खरीदने पर पूर्ण प्रतिबंध है। हालांकि, कुछ वैकल्पिक मार्गों से निवेश संभव हो सकता है।
राज्यों के अनुसार भूमि स्वामित्व के नियम
भारत के संविधान के कुछ अनुच्छेद और स्थानीय कानून बाहरी लोगों के भूमि स्वामित्व को नियंत्रित करते हैं:
- अनुच्छेद 371F (सिक्किम): बाहरी लोगों को यहां भूमि खरीदने की अनुमति नहीं है।
- अनुच्छेद 371G (मिजोरम): गैर-जनजातीय क्षेत्रों में भी भूमि स्वामित्व सीमित है।
- अनुच्छेद 371A (नागालैंड): राज्य सरकार बाहरी लोगों को भूमि खरीदने की अनुमति नहीं देती।
- भूमि स्थानांतरण अधिनियम, 1971 (मेघालय): केवल खासी, जयंतिया और गारो समुदायों के लोग ही यहां भूमि खरीद सकते हैं।
- अरुणाचल प्रदेश: यहां स्थानीय जनजातियों के स्वामित्व वाले भूमि पर बाहरी लोग स्वामित्व नहीं ले सकते।
- असम: यह एकमात्र राज्य है जो बाहरी निवेशकों को अनुमति देता है, लेकिन जनजातीय क्षेत्रों में प्रतिबंध लागू है।
छठी अनुसूची क्या है?
भारतीय संविधान की छठी अनुसूची के तहत कुछ राज्यों के जनजातीय समुदायों को स्वायत्त शासन के अधिकार प्राप्त हैं। इसका अर्थ यह है कि इन समुदायों के पास भूमि स्वामित्व और प्रशासन पर विशेष नियंत्रण होता है। बाहरी लोग इन क्षेत्रों में भूमि खरीद नहीं सकते।
छठी अनुसूची वाले राज्य:
- असम (जनजातीय क्षेत्रों तक सीमित)
- त्रिपुरा (कुछ भागों में लागू)
- मेघालय (नगरपालिका क्षेत्रों को छोड़कर संपूर्ण राज्य)
- मिजोरम (पूरा राज्य)
बाहरी लोगों के लिए निवेश के वैकल्पिक मार्ग
हालांकि जमीन खरीदने पर प्रतिबंध है, लेकिन बाहरी निवेशक निम्नलिखित तरीकों से पूर्वोत्तर भारत में निवेश कर सकते हैं:
1. दीर्घकालिक लीज (लीजहोल्ड निवेश)
- भूमि खरीद की अनुमति न होने के बावजूद, सरकार कुछ परियोजनाओं के लिए 33 से 99 साल तक की लीज प्रदान करती है।
- पर्यटन, शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा, और आईटी पार्क के लिए लीज उपलब्ध होती है।
- उदाहरण: असम इंडस्ट्रियल लैंड मैनेजमेंट पॉलिसी (2021) के तहत औद्योगिक इकाइयों के लिए 60 वर्षों की लीज दी जाती है।
2. संयुक्त उपक्रम (जॉइंट वेंचर)
- स्थानीय व्यवसायों या जनजातीय समुदायों के साथ साझेदारी कर निवेश संभव है।
- इस मॉडल में भूमि स्वामित्व स्थानीय लोगों के पास रहता है, जबकि बाहरी लोग वित्तीय निवेश और संचालन कर सकते हैं।
- उदाहरण: मेघालय और अरुणाचल प्रदेश में कई रिसॉर्ट्स और होटल जनजातीय समुदायों के साथ साझेदारी में चलते हैं।
3. विशेष आर्थिक क्षेत्र (SEZ) में निवेश
- सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त SEZ में बाहरी निवेशकों को टैक्स छूट और अन्य प्रोत्साहन दिए जाते हैं।
- उदाहरण: सिक्किम में SEZ के तहत फार्मास्युटिकल और ऑर्गेनिक फार्मिंग में निवेश संभव है।
पूर्वोत्तर भारत में बाहरी निवेश के लिए सबसे उपयुक्त क्षेत्र
हालांकि निवेश के अवसर सीमित हैं, फिर भी कुछ क्षेत्र बाहरी निवेश के लिए खुले हैं:
राज्य | निवेश के अनुकूल क्षेत्र | प्रतिबंधित क्षेत्र |
---|---|---|
असम | गुवाहाटी, सिलचर, जोरहाट (शर्तों के साथ) | BTR, कार्बी आंगलोंग, दीमा हसाओ (छठी अनुसूची), माजुली |
त्रिपुरा | अगरतला (सीमित रूप से) | त्रिपुरा जनजातीय स्वायत्त जिला परिषद क्षेत्र |
सिक्किम | औद्योगिक क्षेत्र | अधिकांश भाग (केवल सिक्किमी निवासियों के लिए) |
नागालैंड | दीमापुर (केवल लीज के लिए) | अधिकांश भाग |
मणिपुर | इम्फाल (मैदानी क्षेत्र) | पहाड़ी क्षेत्र |
मेघालय | यूरोपियन वार्ड, शिलांग | अन्य सभी भाग |
निष्कर्ष
पूर्वोत्तर भारत में भूमि खरीद के नियम बाहरी लोगों के लिए काफी प्रतिबंधात्मक हैं, लेकिन लीज, संयुक्त उपक्रम और SEZ निवेश जैसे विकल्पों के माध्यम से निवेश किया जा सकता है। यदि आप इस क्षेत्र में निवेश करना चाहते हैं, तो पहले स्थानीय कानूनों और सरकारी नीतियों की अच्छी तरह से जांच करें।
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